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आंकड़ों से ही तय होगा भारत का भविष्य! जानिए राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस पर राज्यपाल ने क्या कहा

जयपुर, 29 जून: राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस 2025 (National Statistics Day 2025) के अवसर पर राज्यपाल श्री हरिभाऊ बागडे ने सांख्यिकी क्षेत्र को सामाजिक और आर्थिक योजनाओं की रीढ़ बताते हुए कहा कि “आंकड़े केवल रिपोर्ट का हिस्सा नहीं, बल्कि देश की नीतियों की नींव हैं।”

वे रविवार को हरिश्चंद्र माथुर राज्य लोक प्रशासन संस्थान, जयपुर में सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।

राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस 2025
राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस 2025

🔍 वैज्ञानिक सोच और पारदर्शिता की जरूरत

राज्यपाल ने कहा कि आज के सूचना युग में डेटा की सटीकता, निष्पक्षता और वैज्ञानिक विश्लेषण बेहद जरूरी हो गया है। उन्होंने अधिकारियों से आह्वान किया कि वे तथ्यपूर्ण और निष्पक्ष तरीके से आंकड़े जुटाएं और उन्हें सावधानी से विश्लेषित करें ताकि नीतियां प्रभावी और जनहितकारी बन सकें।

🧠 प्रो. महालनोबिस को किया स्मरण

राज्यपाल ने भारतीय सांख्यिकी के जनक प्रो. प्रशांत चंद्र महालनोबिस को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि 1950 में उनकी पहल पर ही नेशनल सैंपल सर्वे (NSS) की स्थापना हुई, जो आज 75 वर्ष पूरे कर रहा है।

उन्होंने NSS के इस ऐतिहासिक पड़ाव के लिए सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को बधाई दी।

📈 डेटा आधारित भारत@2047 का लक्ष्य

राज्यपाल बागडे ने कहा,

“भारत आज चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और 5 ट्रिलियन डॉलर की ओर अग्रसर है। 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का सपना तभी पूरा होगा जब हमारे पास विश्वसनीय, समावेशी और रियल टाइम आंकड़े उपलब्ध होंगे।”

उन्होंने यह भी कहा कि जनकल्याण की योजनाओं का सही क्रियान्वयन और प्रभावी मूल्यांकन तभी संभव है जब आंकड़ों का संग्रह और विश्लेषण वैज्ञानिक तरीके से किया जाए।

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🏅 सम्मान और पुस्तक लोकार्पण (National Statistics Day 2025)

इस अवसर पर राज्यपाल ने सांख्यिकी सेवा में उत्कृष्ट योगदान देने वाले अधिकारियों को सम्मानित किया। साथ ही ‘खबरों के झरोखे से’ पुस्तक का लोकार्पण भी किया गया।

राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस न केवल प्रो. महालनोबिस के योगदान को याद करने का दिन है, बल्कि यह दिन हमें यह भी याद दिलाता है कि सटीक आंकड़े ही नीति निर्माण, योजना क्रियान्वयन और राष्ट्रीय विकास के वास्तविक आधार हैं। अब समय है कि हम डेटा को केवल संख्याओं का खेल न समझें, बल्कि इसे देश के भविष्य की दिशा तय करने वाला औजार मानें।

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